Read Short Hindi Moral Stories for Kids with pictures (Hindi Kahaniya) – Collection 2.
बच्चों को मनोरंजन के हिसाब से यह हिंदी किड्स स्टोरी आर्टिकल लाभप्रद होगा । उदाहरण के लिए, वयस्कों का सम्मान, सच बोलें, बुराई से लड़ने के लिए प्रोत्साहन, लालच बुरी बला है, बुरे लोगों की संगती दुखदायी होती है, स्वार्थी मित्र किसी को अच्छा नहीं लगता, अच्छे लोग हमेशा दूसरो की मदद करते हैं, इसी तरह बच्चों को अनेक शिक्षा प्राप्त होगी और यह कहानियाँ बच्चों को सुनने केलिए बहोत पसंद आएंगी। और इस कहानियों से बच्चों को सामाजिक जीवन तथा व्यवहार का ग्यान आएगा ।
इन सब कहानियों से जो संदेश मिलते है, अगर बच्चे अपने आचरण मैं लाये तो निश्चित रूप से भविष्य के साथ ही एक अच्छे आदमी में जाने जायेंगे। शारीरिक और मानसिक विकास के साथ बच्चों कों दिमाग के विकास के लिए आवश्यक है। बेशक यह कहानियाँ अपनी अनेक रूप से विकास में मदद मिलेगी।
माता – पिता या दादा – दादी द्वारा सप्ताह में चार कहानियाँ बच्चों को सुनाये और इस कहानियों से जो शिक्षा मिलती है, बच्चो साथ चर्चा की जानी चाहिए। इसीतरह स्कुल में शिक्षक बच्चो को मनोरंजन के लिए कहानी सुनाये । इस कारन बच्चो के मन पर अच्छा प्रभाव पड़ेगा ।
यह संदेशयुक्त कहानियाँ एक अनमोल मोती है । हम यह अनमोल मोती आप को समर्पित करने जा रहे हैं।
Contents
10 Short Hindi Moral Stories for Kids
प्यासा कौआ

गर्मियो के दिन थे। एक कौआ बहुत प्यासा था। उसका गला सूख रहा था।
वह इधर-उधर उड़ता हुआ पानी की तलाश कर रहा था। पर उसे कहीं भी पानी नही दिखाई दिया। सभी जलाशय सूख गये थे।
अंत में कौए को एक मकान के पास एक घड़ा दिखाई दिया। वह घड़े के पास गया। उसने उसमें झाँककर देखा। घड़े में थोड़ा-सा पानी था। पर उसकी चोंच पानी तक नहीं पहुँच सकती थी।
आचानक उसे एक उपाय सूझा। वह जमीन से एक-एक कंकड़ उठाकर घडे़ में डालने लगा। धीरे-धीरे घड़े का पानी ऊपर आने लगा। अब कौए की चोंच पानी तक पहुँच सकती थी। कौए ने जी-भर कर पानी पिया और खुशी से काँव-काँव करता उड़ गया।
जीवन शिक्षा – जहाँ चाह, वहाँ राह!
अंगूर खट्टे है

एक दिन एक भूखी लोमड़ी अंगूर के बगीचे में जा पहुँची बेलों पर पके हुए अंगूरों के गुच्छे लटक रहे थे।
यह देख लोमड़ी के मुँह में पानी आ गया। मुँह ऊपर की ओर तानकर उसने अंगूर पाने की कोशिश की। पर वह सफल न हो सकी। अंगूर काफी ऊँचाई पर थे। उन्हें पाने के लिए लोमड़ी खूब उछली, फिर भी वह अंगूरों तक नहीं पहुँच सकी।
जब तक वह पूरी तरह थक नहीं गई, उछलती ही रही। आखिरकार थककर उसने उम्मीद छोड़ दी और वहाँ से चलती बनी। जाते-जाते उसने कहा, “अंगूर खट्टे हैं। ऐसे खट्टे अंगूर कौन खाए?”
जीवन शिक्षा – हार मानने में हर्ज क्या?
खरगोश और कछुआ

कछुआ हमेशा धीरे-धीरे चलता था। कछुए की चाल देख खरगोश खूब हँसता।
एक दिन कछुए ने खरगोश से दौड़ की शर्त लगाई। दौड़ शुरू हुई। खरगोश खूब जोर दौड़ने लगा। वह जल्दी ही कछुए से काफी आगे निकल गया।
अपनी जीत निश्चित मान कर खरगोश सोचने लगा, अभी कछुआ बहुत पीछे हैं। वह धीरे धीरे चलता है। इतनी जल्दी शर्त जीतने की जरूरत क्या है? पेड़ के नीचे बैठकर थोड़ा आराम कर लूँ। जब कछुआ पास आता दिखाई देगा, तो दौड़कर मैं उससे आगे निकल जाऊँगा और शर्त जीत लूंगा। यह देख कर कछुआ खूब नाराज होगा। बड़ा मजा आयेगा।
खरगोश पेड़ की छाया में आराम करने लगा। कछुआ अब भी काफी पीछे था। थकान के कारण खरगोश को नींद आ गयी। जब उसकी आँख खुली तो उसने देखा कि कछुआ आगे चला गया है और विजय-रेखा पारकर मुस्करा रहा है।
खरगोश शर्त हार गया।
जीवन शिक्षा -धैर्य और लगन से काम करनेवाला विजयी होता है।
चालाक लोमड़ी

एक दिन एक कौए ने एक बच्चे के हाथ से एक रोटी छीन ली। उसके बाद वह उड़कर पेड़ की ऊँची डाली पर जा बैठा और रोटी खाने लगा। एक लोमड़ी ने उसे देखा तो उसके मुँह में पानी भर आया। वह पेड़ के नीचे जा पहुँची। उसने कौए की ओर देख कर कहा, कौए राजा, नमस्ते। आप अच्छे तो है?
कौए ने कोई जवाब नही दिया।
लोमड़ी ने उससे कहा, कौए राजा, आप बहुत सुंदर एंव चमकदार लग रहे हैं। यदि आपकी वाणी भी मधुर है,तो आप पक्षियों के राजा बन जाएँगे। जरा मुझे अपनी आवाज तो सुनाइए।
मूर्ख कौए ने सोचा, मैं सचमुच पक्षियों का राजा हूँ। मुझे यह सिदध
कर देना चाहिये। उसने ज्यों ही गाने के लिए अपनी चोंच खोली रोटी चोंच से छूटकर नीचे आ गिरी।
लोमड़ी रोटी उठाकर फौरन भाग गयी।
जीवन शिक्षा – झूठी तारीफ करनेवाले से सावधान रहना चाहिए
ग्रामीण चूहा और शहरी चूहा

एक ग्रामीण चूहा था। वह खेत में रहता था। एक शहरी चूहा उसका मित्र था। वह शहर में रहता था। एक दिन ग्रामीण चूहे ने शहरी चूहे को खाने पर निमंत्रित किया। उसने अपने शहरी मेहमान को मीठे-मीठे बेर, मूंगफली के दाने तथा कंदमूल खाने को दिए। पर शहरी चूहे को गाँव का सादा भोजन पसंद नही आया। उसने ग्रामीण चूहे से कहा, भाई! सच्ची बात कहूँ तो तुम्हारा यह देशी खाना मुझे पसंद नही आया। यह तो बड़ा घटिया किस्म का खाना है। इसमें कोई स्वाद भी नहीं है। तुम मेरे घर चलो, तो तुम्हें पता चलेगा कि बढि़या खाना कैसा होता है!
ग्रामीण चूहे ने शहरी चूहे का आमंत्रण स्वीकार कर लिया। एक दिन वह शहर गया। उसके शहरी मित्र ने उसे अजींर, खजूर, शहद, बिस्कुट, पावरोटी, मुरब्बा आदि खाने को दिया। भोजन बड़ा स्वादिष्ट था।
लेकिन शहर मे वे दोनो चैन से भोजन नही कर पाए। वहाँ बार-बार एक बिल्ली आ जाती चूहों को अपनी जान बचाने के लिये भागना पड़ता था। शहरी चूहे का बिल भी बहुत छोटा और सँकरा था।
कितना दुखी जीवन है तुम्हारा, भाई? ग्रामीण चूहे ने शहरी चूहे से कहा, मैं तो घर लौट जाता हूँ। वहाँ मैं कम से कम शांतिपूर्वक खाना तो खा सकता हूँ। खेत में अपने स्थान पर वापस लौटने पर ग्रामीण चूहे को बड़ी प्रसन्नता हुई।
जीवन शिक्षा – शांति और निर्भयता मे ही सच्चा सुख
टिड्डा और चींटी

गर्मियों के दिन थे। खुली धूप थी और मौसम साफ था। अनाज भी भरपूर था। ऐसे समय पर एक टिड्डा भरपेट खाना खाकर गीत गाने में मस्त था। उसने देखा, कुछ चींटियाँ खाने की सामग्री ले जा रही हैं।
शायद वे भविष्य के लिए संग्रह कर रही थीं। चींटियों को देखकर वह हँसने लगा। उनमे से एक चींटी से उसकी दोस्ती थी। टिड्डे ने उस चींटी से कहा, “तुम सब कितनी लालची हो! इस खुशी के मौके पर भी काम कर रही हो! तरस आता है तुम पर!” चींटी ने जवाब दिया, “अरे भाई, हम लोग बरसात के लिए खाने की सामग्री एकत्र कर रही हैं।”
गर्मियों के बाद बरसात का मौसम शुरू हुआ। आकाश में बादल छा गए। खुली धूप जाती रही! अब टिड्डे के लिए भोजन जुटाना मुश्किल हो गया। आखिरकार उसके सामने भूखों मरने की समस्या खड़ी हो गई।
एक दिन टिड्डे ने अपनी दोस्त चींटी का दरवाजा खटखटाया। उसने कहा, “चींटी बहन कृपा कर मुझे कुछ खाने के लिए दो। मैं बहुत भूखा हूँ।” चींटी ने जवाब दिया, “गर्मी के दिनों में तो तुम गीत में मगन होकर इधर-उधर घूमते रहे, अब बरसात के मौसम में कही जाकर नाचो। तुम जैसे आलसी को मैं एक भी दाना नहीं दे सकती।” और उसने झट से दरवाजा बंद कर दिया।
जीवन शिक्षा – आज की बचत ही कल काम आती है।
लालची कुत्ता

एक बार एक कुत्ते को हड्डी का एक टुकड़ा मिल गया। उसे अपने मुँह मे दबाकर वह एक कोने में जा बैठा। वह थोड़ी देर तक उस हड्डी के टुकड़े को चूसता रहा। बाद में थककर वहीं सो गया। जब उसकी नींद खुली तो उसे जोरों की प्यास लगी। मुँह मे हड्डी का टुकड़ा दबाए वह पानी की खोज में चल पड़ा।
वह एक नदी के किनारे गया। पानी पीने के लिये वह झुका, तो उसे पानी में अपनी ही छाया दिखाई दी। उसे लगा, नदी में कोई दूसरा कुत्ता है। उस कुत्ते के मुँह मे भी हड्डी का टुकड़ा है। कुत्ते के मन में इस हड्डी के टुकड़े को हथिया लेने का विचार आया। उसने गुस्से में आकर जैसे ही भौंकने के लिये मुँह खोला, तो उसके मुँह से हड्डी का टुकड़ा नदी मे जा गिरा। लालच में उसने अपने मुँह की हड्डी भी गँवा दी।
जीवन शिक्षा – लालच का फल बुरा होता है।
मधुमक्खी और कबूतर

एक मधुमक्खी थी। एक बार वह उड़ती हुई तालाब के ऊपर से जा रही थी।
अचानक वह तालाब के पानी में गिर गई। उसके पंख गीले हो गए। अब वह उड़ नही सकती थी। उसकी मृत्यु निश्चित थी।
तालाब के पास पेड़ पर एक कबूतर बैठा हुआ था। उसने मधुमक्खी को पानी में डूबते हुए देखा। कबूतर ने पेड़ से एक पत्ता तोड़ा। उसे अपनी चोंच में उठाकर तालाब में मधुमक्खी के पास गिरा दिया। धीरे-धीरे मधुमक्खी उस पत्ते पर चढ़ गई। थोड़ी देर में उसके पंख सूख गये। उसने कबूतर को धन्यवाद दिया। फिर वह उड़ कर दूर चली गई।
कुछ दिन के बाद कबूतर पर एक संकट आया। वह पेड़ की डाली पर आँख मूंद कर सो रहा था। तभी एक लड़के ने गुलेल से उस पर निशाना साधा। कबूतर इस खतरे से अनजान था। मगर मधुमक्खी ने लड़के को निशाना साधते हुए देख लिया था। मधुमक्खी उड़कर लड़के के पास पहुँची। उसने लड़के के हाथ में डस लिया। लड़के के हाथ से गुलेल गिर पड़ी। दर्द के मारे वह जोर-जोर से चीखने लगा। लड़के की चीख सुनकर कबूतर जाग उठा। उसने अपनी जान बचाने के लिए मधुमक्खी को धन्यवाद दिया और मजे से उड़ गया।
जीवन शिक्षा – अच्छे लोग हमेशा दूसरो की मदद करते हैं।
किसान और जादुई बतख

एक किसान के पास एक जादुई बतख थी। वह रोज एक सोने का अंडा देती थी। किसान सोने के अंडे को बाजार में बेच देता था। इससे उसे अच्छी आमदनी हो जाती थी। थोड़े ही दिनों में किसान अमीर हो गया। उसने एक विशाल मकान बनवाया। इसमें वह अपनी पत्नी तथा बच्चों के साथ आनन्द से रहने लगा।
बहुत दिनों तक इसी प्रकार चलता रहा। एक दिन किसान ने सोचा, यदि मैं इस बतख के शरीर से सारे अंडे निकाल लूँ, तो मालामाल हो जाऊँगा।
किसान ने एक बड़ा-सा चाकू लिया और बतख का पेट चीर डाला। परंतु बतख के पेट में से उसे एक भी अंडा नही मिला। किसान को अपनी गलती पर बड़ा दुःख हुआ। वह पछताने लगा। उसकी हालत पागलों जैसी हो गयी। बतख मर गयी थी। उसे बतख से रोज एक सोने का अंड़ा मिलता था अब उसे वह कभी नही मिल सकता था।
जीवन शिक्षा – लालच बुरी बला है।
दो बकरे

दो बकरे थे। एक काले रंग का था एक भूरे रंग का था। एक दिन वे झरने पर बने पुल से गुजर रहे थे। काला बकरा पुल के इस छोर से और भूरा बकरा उस छोर से आ रहा था। पुल के बीचो-बीच दोनों बकरो का आमना-सामना हुआ। दोनों अकड़कर खड़े हो गए। पुल बहुत ही सँकरा था। एक बार में उस पुल पर से एक ही जानवर पुल से जा सकता था।
काले बकरे ने भूरे बकरे से गुर्रा कर कहा, “तू मेरे रास्ते से हट जा।” भूरे बकरे ने भी इसी प्रकार गुर्रा कर जवाब दिया, “अबे कालिए, वापस चला जा, वरना मैं तुझे इस झरने में फेंक दूँगा।”
वे दोनो थोडी देर तक एक-दूसरे को धमकाते रहे। उसके बाद दोनों एक दूसरे से भिड़ गए। फिर क्या था! दोनों अपना-अपना संतुलन खो बैठे और लड़खड़ाकर झरने मे जा गिरे। वे झरने की धारा के साथ बहने लगे। थोड़ी देर में ही दोनों डूब कर मर गए।
इसी तरह दूसरी बार दो बकरियाँ इसी पुल के बीचोबीच आमने-सामने आ गईं। वे दोनो समझदार एंव शांत मिजाज वाली थीं। उनमें से एक बकरी बैठ गई। उसने दूसरी बकरी को अपने शरीर के ऊपर से जाने दिया। उसके बाद वह खड़ी हो गई। धीरे- धीरे चल कर उसने भी पुल पार कर लिया।
शिक्षा – क्रोध दुख का मूल है, शांति खुशी की खान है
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Added by
Mr Banna
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